विदेश मंत्रालय ने रविवार को हरदीप सिंह निज्जर पर आई रिपोर्ट का खंडन किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने पश्चिमी देशों में सिख प्रवासी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की योजना बनाते हुए उत्तरी अमेरिका में दूतावासों को एक गुप्त ज्ञापन भेजा था। मंत्रालय ने 'द इंटरसेप्ट' की रिपोर्ट को फर्जी और पूरी तरह मनगढ़ंत बताया है. मंत्रालय ने कहा कि ऐसा कोई मेमो नहीं भेजा गया.
"reports are fake and completely fabricated. There is no such memo", MEA reacts to a media report claiming a memo was ordered by Indian side to take concrete measures against Nijjar. pic.twitter.com/1OXbYiJfMW
— Sidhant Sibal (@sidhant) December 10, 2023
भारत के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा
विदेश मंत्रालय ने कहा- ''यह भारत के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है। यह आउटलेट पाकिस्तानी खुफिया विभाग द्वारा फैलाए गए फर्जी आख्यानों के प्रचार-प्रसार के लिए जाना जाता है। लेखकों की पोस्ट इस संबंध की पुष्टि करती हैं।" बयान में कहा गया है कि जो लोग ऐसी फर्जी खबरें प्रचारित करते हैं वे केवल अपनी विश्वसनीयता की कीमत पर ऐसा कर रहे हैं।
इस रिपोर्ट को सरकार ने फर्जी बताया था
दरअसल, इंटरसेप्ट रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अप्रैल 2023 में एक सीक्रेट मेमो जारी किया गया था. इसमें हरदीप सिंह निज्जर सहित भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा जांच के दायरे में आने वाले कई सिख आलोचकों की सूची शामिल है। सरकार की ओर से इस रिपोर्ट को फर्जी बताया गया है। दावा किया गया कि यह मेमो वैंकूवर में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से दो महीने पहले भेजा गया था.
आपको बता दें कि भारत-कनाडा के रिश्ते उस वक्त खराब हो गए थे जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था. भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि कनाडा को सबूत मुहैया कराना चाहिए. भारत ने भी जांच प्रक्रिया में सहयोग करने की बात कही.
दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद के बाद भारत ने कनाडा में अपनी वीज़ा सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। वीजा सेवाएं दोबारा शुरू होने के बाद कनाडा को भारत से करीब 40 राजनयिकों को वापस बुलाना पड़ा। भारत ने कनाडाई राजनयिकों पर आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।