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हमास से ज्यादा पावरफुल तो हूती, 3 दिन में ऐसे छुड़ाए अमेरिका-इजराइल के छक्के

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Posted On:Saturday, March 22, 2025

मिडिल ईस्ट में जारी भू-राजनीतिक संकट दिन-ब-दिन और गहराता जा रहा है। हाल ही में यमन के हूती विद्रोहियों ने जिस तरह अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया है, उसने अमेरिका और इजराइल जैसे देशों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे वक्त में जब हमास फिलहाल इजराइल पर बड़े हमलों से पीछे हटता दिख रहा है, हूती लगातार अपनी आक्रामक नीति पर कायम हैं। बीते तीन दिनों में उन्होंने इजराइली और अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए बैक-टू-बैक मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं। यह संघर्ष मिडिल ईस्ट में नए युद्ध के खतरे की तरफ इशारा करता है।

हूती विद्रोहियों का शक्ति प्रदर्शन: अमेरिका-इजराइल पर बढ़ते हमले

यमन के हूती विद्रोहियों ने जिस तरह अपनी सैन्य रणनीति को विस्तार दिया है, उसने अमेरिका और इजराइल दोनों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। यमन में अमेरिकी हवाई हमलों के बावजूद हूती विद्रोही अपने हमले और तेज कर रहे हैं। अमेरिका के हमलों में 53 से ज्यादा लोगों की मौत और 98 से ज्यादा घायल होने की जानकारी मिली है, लेकिन इसके जवाब में हूती ने अमेरिकी युद्धपोत USS Harry S. Truman को निशाना बनाया। हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि ये हमले विफल रहे, फिर भी हूती ने अपनी चेतावनी दोहराई है कि वे हर हमले का बदला लेंगे।

अमेरिका के लिए बढ़ती चुनौती

हूती विद्रोहियों ने साफ तौर पर कहा है कि अमेरिकी आक्रामकता का जवाब और भी घातक दिया जाएगा। उनके पास अब ऐसी मिसाइल और ड्रोन तकनीक है, जो अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। विश्लेषकों का कहना है कि हूती की रणनीति अब पारंपरिक युद्ध से आगे बढ़कर आधुनिक तकनीक आधारित हमलों की तरफ बढ़ चुकी है।

इजराइल पर हूती विद्रोहियों का सीधा हमला

इजराइल के लिए यह नया मोर्चा बेहद गंभीर चुनौती बन गया है। गुरुवार को हूती विद्रोहियों ने इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइल दागी। भले ही इजराइल की वायु सुरक्षा प्रणाली 'आयरन डोम' ने इसे बीच में ही नष्ट कर दिया, लेकिन पूरे देश में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया। यह हमला ऐसे समय में हुआ, जब गाजा में हमास कमजोर पड़ चुका है। हूती हमलों ने इजराइल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है कि अब उन्हें दक्षिणी मोर्चे के साथ-साथ यमन से भी खतरा झेलना पड़ेगा।

इजराइल की जवाबी रणनीति

इजराइल ने अमेरिका से अपील की है कि वह हूती विद्रोहियों पर कड़ा दबाव बनाए। हालांकि, वॉशिंगटन ने खुद ही इस मोर्चे को संभालने का फैसला लिया है। इजराइली नेतृत्व ने यह भी कहा है कि गाजा के साथ-साथ यमन से आने वाले खतरों से निपटने के लिए वह अपनी सैन्य कार्रवाई को और विस्तार देगा।

गाजा के मुद्दे पर हूती विद्रोहियों की आक्रामकता

हूती विद्रोही खुद को गाजा के रक्षक के रूप में पेश करते हैं। उनका कहना है कि जब तक इजराइल गाजा की नाकेबंदी जारी रखेगा और मानवीय सहायता को रोकेगा, तब तक हूती अपनी सैन्य कार्रवाई नहीं रोकेंगे। हाल ही में इजराइल ने गाजा को जाने वाली मानवीय सहायता को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके विरोध में हूती ने रेड सी में इजराइली जहाजों को निशाना बनाने की धमकी दी। हूती विद्रोहियों के प्रवक्ता ने साफ कहा है, "हम गाजा के लोगों की आवाज हैं। जब तक उनके खिलाफ अत्याचार जारी रहेगा, हम इजराइल और उसके सहयोगियों पर हमले करते रहेंगे।"

अमेरिकी और इजराइली रणनीतिक संतुलन पर संकट

हूती विद्रोहियों की आक्रामक रणनीति अमेरिका और इजराइल दोनों के लिए सिरदर्द बन गई है। अमेरिका भले ही हवाई हमलों और सैन्य दबाव की नीति अपना रहा हो, लेकिन हूती पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि हूती की मिसाइल और ड्रोन तकनीक दिन-ब-दिन उन्नत होती जा रही है। उनके पास अब ऐसे ड्रोन्स हैं, जो लंबी दूरी तक जाकर लक्ष्यों को भेद सकते हैं।

व्यापारिक मार्गों पर खतरा

रेड सी और अरब सागर के व्यापारिक जहाज अब सबसे ज्यादा खतरे में हैं। हूती ने साफ किया है कि वे इजराइल से जुड़े सभी व्यापारिक और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएंगे। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। अमेरिका ने अपने व्यापारिक साझेदारों को चेतावनी दी है कि वे रेड सी के मार्ग से फिलहाल बचें।

मिडिल ईस्ट में एक नया युद्ध क्षेत्र?

हूती विद्रोहियों की सैन्य ताकत और उनका आत्मविश्वास यह संकेत देता है कि मिडिल ईस्ट एक नए युद्ध क्षेत्र में बदल सकता है। अमेरिका ने चेतावनी दी है कि वह हूती पर और ज्यादा घातक हमले करेगा। लेकिन हूती विद्रोही भी पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि यमन की सीमाओं से बाहर भी वे हमले करने की योजना बना चुके हैं। यदि यह संघर्ष बढ़ता है, तो मिडिल ईस्ट में एक बहुपक्षीय युद्ध छिड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका असर न केवल क्षेत्रीय राजनीति पर, बल्कि वैश्विक तेल आपूर्ति, व्यापार और सुरक्षा पर भी पड़ेगा।

सैन्य विशेषज्ञों की राय

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि हूती अब किसी गैर-संगठित विद्रोही समूह की तरह नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित सेना की तरह काम कर रहे हैं। उनके पास ईरान से मिल रही तकनीकी सहायता और हथियारों ने उन्हें अमेरिका और इजराइल के लिए एक बड़े खतरे में बदल दिया है। अमेरिका और इजराइल को अब हूती के खिलाफ बड़े सैन्य ऑपरेशन की रणनीति बनानी होगी, लेकिन इसकी कीमत बहुत भारी हो सकती है।

भविष्य की संभावनाएं और अंतरराष्ट्रीय चिंता

अमेरिका, इजराइल और उनके सहयोगी देशों के लिए हूती विद्रोहियों से निपटना आसान नहीं होगा। उनकी बढ़ती सैन्य ताकत और क्षेत्रीय समर्थन ने उन्हें और ज्यादा मजबूत बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जता चुके हैं। यदि हूती और अमेरिका/इजराइल के बीच यह संघर्ष यूं ही चलता रहा, तो यह पूरी दुनिया की शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

संभावित समाधान

कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि केवल सैन्य कार्रवाई से इस संकट का हल नहीं निकलेगा। कूटनीतिक प्रयास, बातचीत और मानवीय सहायता बहाली ही मिडिल ईस्ट में स्थिरता ला सकते हैं। लेकिन जब तक गाजा और यमन में मानवीय संकट समाप्त नहीं होता, तब तक इस संघर्ष का समाधान मुश्किल दिखाई देता है।

निष्कर्ष: संकट गहराता जा रहा है

यमन के हूती विद्रोही अब सिर्फ एक क्षेत्रीय ताकत नहीं रहे, वे मिडिल ईस्ट में अमेरिका और इजराइल के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल चुके हैं। उनके आक्रामक कदम इस पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक सकते हैं। अमेरिका और इजराइल को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा, ताकि इस संघर्ष को और ज्यादा भयावह बनने से रोका जा सके। आने वाले दिनों में यह देखना बेहद अहम होगा कि यह टकराव किस दिशा में जाता है।

"मिडिल ईस्ट में शांति कब लौटेगी?"

यह सवाल आज पूरी दुनिया के सामने है। उम्मीद है कि जल्द ही कोई कूटनीतिक समाधान निकलेगा, जिससे यह क्षेत्र फिर से स्थिरता और शांति की ओर लौट सके।


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