सीरिया के दक्षिणी प्रांत सुवैदा (Sweida) में एक बार फिर हालात बिगड़ते जा रहे हैं। शुक्रवार को लगातार पांचवीं बार युद्धविराम (सीजफायर) टूट गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और क्षेत्रीय सूत्रों के अनुसार, इस बार भी हमलों की शुरुआत बेदुइन लड़ाकों द्वारा द्रुज समुदाय पर किए गए हमलों से हुई। इससे पहले कई बार अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मध्यस्थता के जरिए संघर्ष विराम की कोशिश की जा चुकी है, लेकिन हर बार नाकाम साबित हुई है।
द्रुज और बेदुइन समुदायों के बीच गहराता तनाव
सुवैदा क्षेत्र में बहुसंख्यक द्रुज समुदाय और खानाबदोश बेदुइन कबीलों के बीच लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक तनाव रहा है। हाल ही में एक द्रुज सब्जी विक्रेता को बेदुइन लड़ाकों द्वारा कथित तौर पर किडनैप करने और उसकी संपत्ति लूटने की घटना ने विवाद को हिंसक संघर्ष में बदल दिया।
इस घटना के बाद द्रुज समुदाय ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो गई। जब हालात काबू से बाहर होने लगे, तब सीरियाई सेना ने हस्तक्षेप किया, लेकिन आरोप है कि सरकार समर्थित लड़ाके खुद भी द्रुज समुदाय पर हिंसक हमलों में शामिल हो गए।
24 घंटे भी नहीं टिक पाया पहला सीजफायर
सीरिया के रक्षा मंत्री ने 16 जुलाई को एक समझौते की घोषणा की थी, जिसके तहत सेना और स्थानीय गुटों के बीच युद्धविराम लागू किया गया। लेकिन यह सीजफायर 24 घंटे भी नहीं टिक सका। अगले ही दिन यानी 17 जुलाई को फिर से सरकारी बलों और द्रुज लड़ाकों के बीच झड़पें शुरू हो गईं, जिसमें कई लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई।
हिंसा के बीच ही इस्राइल ने पहली बार सुवैदा प्रांत में हस्तक्षेप करते हुए 15 जुलाई को कट्टरपंथी लड़ाकों पर हवाई हमले किए। इसके एक दिन बाद, 16 जुलाई को इस्राइली वायुसेना ने दमिश्क स्थित सीरियाई आर्मी हेडक्वार्टर और रक्षा मंत्रालय पर हमला कर दिया। इस कार्रवाई को सीरिया में बढ़ते आतंकवादी प्रभाव और क्षेत्रीय अस्थिरता के खिलाफ एक जवाबी कदम माना जा रहा है।
सीरियाई सेना की भूमिका पर सवाल
हालांकि सीरियाई सरकार का दावा है कि उनकी सेना सुवैदा लौटकर कानून-व्यवस्था बहाल करने में जुटी है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और बयां कर रही है। स्थानीय निवासियों और मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि सीरियाई बल निष्पक्ष मध्यस्थ के बजाय द्रुज विरोधी कार्रवाइयों में संलिप्त हैं।
मध्यस्थता की कोशिशों के तहत कई बार संघर्ष विराम की घोषणा की गई, लेकिन हर बार वे कुछ ही घंटों या दिनों में टूट गए। इससे स्पष्ट होता है कि स्थानीय मुद्दों का समाधान महज राजनीतिक घोषणाओं से संभव नहीं है।
इस्राइल की सक्रियता और क्षेत्रीय तनाव
इस्राइल के हमलों को लेकर मध्य पूर्व में चिंता की लहर दौड़ गई है। पिछले कुछ वर्षों से इस्राइल ने सीरिया में ईरान समर्थित आतंकवादी संगठनों के ठिकानों पर कार्रवाई की है, लेकिन इस बार उसने सीधे सीरियाई सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हस्तक्षेप उस बिंदु का संकेत है, जहां इस्राइल को यह महसूस हो गया है कि अगर वह सक्रिय नहीं हुआ, तो द्रुज समुदाय और अन्य अल्पसंख्यक पूर्ण रूप से खतरे में पड़ सकते हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
वर्तमान स्थिति बेहद जटिल और अस्थिर है। द्रुज और बेदुइन समुदायों के बीच बढ़ती हिंसा, सीरियाई सेना की संदिग्ध भूमिका और इस्राइल की सैन्य कार्रवाइयों ने स्थिति को अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की ओर धकेल दिया है।
ऐसे में जरूरी है कि:
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संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं सक्रिय भूमिका निभाएं।
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स्थानीय गुटों के साथ संवाद और स्थायी समझौता स्थापित किया जाए।
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सीरियाई सरकार को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए बाध्य किया जाए।
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मानवाधिकार उल्लंघनों की निष्पक्ष जांच हो।
निष्कर्ष
सुवैदा में बार-बार टूटता युद्धविराम न केवल सीरिया की अंदरूनी राजनीति की विफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि यदि समय रहते सुलह नहीं हुई, तो यह संघर्ष क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है। द्रुज समुदाय, जिसकी संख्या पहले ही सीमित है, ऐसे समय में वैश्विक समुदाय की सहानुभूति और सक्रिय समर्थन की अपेक्षा करता है। वरना आने वाले दिनों में यह संकट और भयावह रूप ले सकता है।