प्रयागराज न्यूज डेस्क: संगम की पवित्र भूमि पर 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाले महाकुंभ में अखाड़ों के स्नान के क्रम को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। परंपरा के अनुसार प्रयागराज में होने वाले कुंभ और महाकुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी पहले शाही स्नान करता आया है। लेकिन इस बार महाकुंभ में स्नान के क्रम में बदलाव की योजना बनाई जा रही है, जिससे अखाड़ों के बीच रार की आशंका बढ़ गई है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने जूना अखाड़े को सबसे पहले शाही स्नान करवाने का इरादा जताया है, लेकिन महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है।
महंत रवींद्र पुरी, जो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हैं, ने कहा है कि जूना अखाड़ा, जो शैव परंपरा का सबसे बड़ा अखाड़ा है, को सबसे पहले स्नान करने का मौका मिलना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि वह इस प्रस्ताव को अगली बैठक में अन्य अखाड़ों से पास करवाने का आश्वासन दे रहे हैं। उनका तर्क है कि जूना अखाड़े में साधु संतों की संख्या अधिक होने के कारण यदि वह पीछे रह जाते हैं, तो आगे वाले साधु संतों पर दबाव पड़ता है।
इससे किसी भी प्रकार का हादसा होने का खतरा बना रहता है। उनका कहना है कि यदि जूना अखाड़ा पहले शाही स्नान कर लेगा, तो अन्य अखाड़ों को कोई परेशानी नहीं होगी और वे अपने क्रम में शाही स्नान करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है और इसके साथ-साथ किन्नर और कई अन्य अखाड़े भी जुड़े हैं।
आपको जानकारी दे दें कि 2019 के कुंभ में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने पहले शाही स्नान किया, जिसमें श्री पंचायती अटल अखाड़ा भी शामिल था। दूसरे क्रम में, श्री पंचायती निरंजनी और तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा ने स्नान किया। इसके बाद, श्री पंचदश नाम जूना, आवाह्न और श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ों ने एक साथ स्नान किया। उसके बाद बैरागी अखाड़ों का शाही स्नान शुरू हुआ, जिसमें सबसे पहले अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा था। इसके बाद अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी और पंच निर्मोही अनी अखाड़ों ने स्नान किया। अंत में, उदासीन अखाड़े ने शाही स्नान किया, जिसमें पहले श्री पंचायती नया उदासीन, फिर बड़ा उदासीन और अंत में निर्मल अखाड़ा शामिल हुआ।
महंत यमुना पुरी, जो श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव हैं, ने प्रयागराज में शाही स्नान के क्रम में बदलाव को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी से कहा है कि शाही स्नान का क्रम संख्या बल के बजाय परंपरा के आधार पर निर्धारित होना चाहिए। उनके अनुसार, प्रयागराज कुंभ और महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़ा हमेशा पहले स्नान करता आया है। हरिद्वार में निरंजनी अखाड़ा, जबकि उज्जैन और नासिक में जूना अखाड़ा पहले स्नान का हकदार होता है। शाही स्नान तीन पर्वों—मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर होता है। इसलिए, उन्होंने चेतावनी दी है कि महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी इस प्रकार के बदलाव को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। उनका मानना है कि परंपराओं को सहेज कर रखना चाहिए।
महंत रवींद्र पुरी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, भले ही शाही स्नान के क्रम में बदलाव की वजह व्यवस्था बताने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण भी है। दरअसल, अखाड़ा परिषद अब दो हिस्सों में बंट चुका है। महंत रवींद्र पुरी जिस गुट के अध्यक्ष हैं, उसका दावा है कि उसे जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आवाह्न अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा और निर्वाणी अनी अखाड़े का समर्थन प्राप्त है। दूसरी तरफ, महानिर्वाणी अखाड़े के महंत के नेतृत्व वाले गुट के पास केवल पांच अखाड़ों का समर्थन है, जिसमें महानिर्वाणी, अटल अखाड़ा, दिगंबर अनी अखाड़ा, निर्मोही अनी अखाड़ा और निर्मल अखाड़ा शामिल हैं। इसलिए, संख्या बल के आधार पर निरंजनी अखाड़े के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी शाही स्नान के क्रम में बदलाव की बात कर रहे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि यदि महाकुंभ में अखाड़ों के शाही स्नान का क्रम बदलता है, तो इससे अखाड़ों के बीच विवाद बढ़ सकता है।