प्रयागराज न्यूज डेस्क: सिंगापुर में गैर पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक कचरे से हरित सड़क का निर्माण किया जाएगा, इस पर एक सिंगापुर समाचार पत्र में खबर छपने के बाद कुछ वैज्ञानिकों ने प्रयागराज के पद्मश्री डॉ. अजय सोनकर से संपर्क किया। डॉ. सोनकर ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस योजना के संभावित खतरों के बारे में सूचित किया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इसकी जांच की जाएगी।
डॉ. अजय सोनकर, जो माइक्रोप्लास्टिक पर लंबे समय से अध्ययन कर रहे हैं और जिनके शोध को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है, ने हाल ही में सिंगापुर के एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक खबर पर ध्यान दिया। इस खबर में कहा गया था कि सिंगापुर में गैर पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक का उपयोग करके हरित सड़क बनाई जाएगी। इस जानकारी के बाद, सिंगापुर के कुछ वैज्ञानिकों ने डॉ. सोनकर से संपर्क किया, जिन्होंने सिंगापुर के प्रधानमंत्री को खत लिखकर इसके संभावित खतरों के बारे में चेताया।
डॉ. अजय कुमार सोनकर ने बताया कि माइक्रोप्लास्टिक पर किए जा रहे उनके शोध के दौरान नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि अब वाहनों के टायरों की उम्र बढ़ाने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि पहले ये टायर रबर और कपड़े से बनाए जाते थे। इसके अलावा, जूतों और चप्पलों के सोल में भी प्लास्टिक का उपयोग बढ़ गया है।
वाहन चलाते समय या पैदल चलते वक्त घर्षण के कारण माइक्रोप्लास्टिक तेजी से उत्पन्न होता है। अगर हरित सड़क बनाने में गैर पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया, तो इससे माइक्रोप्लास्टिक बनने की प्रक्रिया और तेज हो जाएगी। माइक्रोप्लास्टिक खून के जरिए फेफड़े, दिल और दिमाग तक तेजी से पहुंचता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, दमा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी जोखिम है।
पेड़-पौधों के डीएनए को भी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में, सिंगापुर जैसे हरित देश को माइक्रोप्लास्टिक के गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है। गैर पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक का उपयोग करके हरित सड़क बनाना एक खतरनाक कदम हो सकता है, जो पर्यावरण के लिए अत्यधिक हानिकारक साबित हो सकता है। डॉ. सोनकर ने अपने पत्र में इन खतरों की जानकारी दी और हरित सड़क से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को डेटा भी प्रदान किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने डॉ. सोनकर को उनके द्वारा प्रदान की गई महत्वपूर्ण जानकारी और डेटा के लिए धन्यवाद दिया है। पत्र में बताया गया है कि डॉ. सोनकर द्वारा दिए गए डेटा का विश्लेषण किया जाएगा और इसे संबंधित एजेंसी को सौंप दिया गया है जो पूरे मामले की समीक्षा करेगी। डॉ. सोनकर को उम्मीद है कि सिंगापुर सरकार पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली ऐसी परियोजनाओं को अनुमति नहीं देगी।