प्रयागराज न्यूज डेस्क: महाकुंभ का भव्य आयोजन समाप्त होने के बाद अब संगम की रेती पर सन्नाटा पसरने लगा है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस भव्य आयोजन के बाद, अब अस्थायी नगरी धीरे-धीरे समेटी जा रही है। चार हजार हेक्टेयर में फैले इस पवित्र स्थल पर शुक्रवार को शिविरों को हटाने और सामान समेटने की हलचल कुछ ज्यादा ही नजर आई। श्रद्धालुओं की भीड़ अब काफी कम हो गई है, और जिन जगहों पर पहले धार्मिक गतिविधियों की चहल-पहल थी, वहां अब खाली जमीन नजर आ रही है।
संगम तट, जो आयोजन के दौरान आस्था के ज्वार से सराबोर रहता था, अब अपेक्षाकृत शांत है। शुक्रवार को यहां श्रद्धालु तो मौजूद थे, लेकिन उनकी संख्या सामान्य दिनों की तुलना में काफी कम थी। दोपहर के समय सफाई अभियान चलाया जा रहा था, जिससे जगह-जगह बिखरे सामान को हटाया जा सके। संगम पर स्नान करने आने वाले श्रद्धालु अब आराम से बिना किसी भीड़भाड़ के आते-जाते दिख रहे हैं। पांटून पुल अभी भी अपनी जगह पर बने हुए हैं, लेकिन अब उन पर भीड़ को नियंत्रित करने की जरूरत नहीं पड़ रही। अखाड़ा मार्ग और अन्य शिविर स्थल भी अब वीरान नजर आने लगे हैं, जहां पहले धर्मध्वजाएं लहरा रही थीं, वहां अब खाली मैदान दिखाई दे रहा है।
ऐरावत घाट, जो आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं से भरा रहता था, अब सुनसान सा लगने लगा है। उत्तर की ओर बने विशाल शिविरों को हटाया जा रहा है और वहां पड़ा सामान समेटा जा रहा है। श्रद्धालुओं के जाने के बाद सेवा शिविरों और धर्म स्थलों को भी खाली किया जा रहा है। सरकारी शिविर और बड़े संस्थानों के तंबू अब उखाड़े जा रहे हैं, जिससे साफ पता चलता है कि महाकुंभ की आभा अब सिमटने लगी है।
हालांकि, परेड क्षेत्र में अभी भी हलचल बनी हुई है। यहां कुछ दुकानें और ठेले अब भी खुले हुए हैं, क्योंकि संगम जाने वालों की संख्या पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। सरकारी प्रदर्शनियां भी धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं, ओडीओपी और खादी प्रदर्शनी के टेंट को खोलने का काम जारी है। अधिकारियों का कहना है कि अगले 15 दिनों में पूरा क्षेत्र पूरी तरह से खाली कर दिया जाएगा, और संगम नगरी अपने मूल रूप में लौट आएगी।