प्रयागराज न्यूज डेस्कः गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे प्रतियोगी छात्रों के रास्ते में पुलिस की एक हरकत ने मुश्किलें बढ़ा दी, लेकिन इसके बाद छात्रों का साहस और मजबूत हुआ। गुरुवार सुबह करीब पौने आठ बजे, पुलिस के सादे कपड़ों में आए कुछ अधिकारी भारी बल के साथ धरने पर बैठे छात्रों – आशुतोष पांडेय, राजन त्रिपाठी, अमरेन्द्र त्रिपाठी और आकाश सिंह – को जबरदस्ती उठाने की कोशिश करने लगे। इस पर छात्रों ने विरोध किया और छात्राओं ने छात्रों को घेर लिया। आरोप है कि बिना महिला पुलिसकर्मियों के सादी वर्दी में आई पुलिस ने छात्राओं से भी छीनाझपटी की।
इस दौरान बरेली की दिव्यांग छात्रा गौरी को पैर में चोटें आईं, जबकि अन्य छात्राओं – निधि, शालू यादव और प्रिया – को भी चोटें लगीं। छात्राएं घबराई हुई थीं और उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने आंदोलन छोड़ने से मना कर दिया। छात्रों का स्पष्ट कहना था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे वहां से नहीं जाएंगे, चाहे जो हो। इस घटनाक्रम के बाद प्रशासन को समझ में आ गया कि छात्रों का धरना खत्म करने में आसानी नहीं होगी।
जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने तीन बार आंदोलन समाप्त करने की अपील की, पहली बार सोमवार रात करीब 11 बजे, फिर मंगलवार सुबह 10.45 बजे और बुधवार रात 11 बजे, लेकिन छात्रों ने इन अपीलों को नकारते हुए धरने को जारी रखने का फैसला किया।