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कोलकाता में क्यों नहीं होगा IPL मैच? रामनवमी पर BJP निकालेगी 2000 शोभायात्रा, जुटेंगे 1 करोड़ हिंदू, क्या करेगी TMC?

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Posted On:Monday, March 24, 2025

पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है। एक ओर जहां ममता बनर्जी अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं, वहीं भाजपा राज्य की सत्ता में काबिज होने के लिए रणनीति पर रणनीति बना रही है। इसी राजनीतिक खींचतान के बीच रामनवमी जैसे धार्मिक आयोजन और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के मैच भी राजनीति से अछूते नहीं रहे हैं।

रामनवमी पर सियासत गरमाई, पुलिस प्रशासन ने खींच ली हाथ!

6 अप्रैल 2026 को पड़ने वाली रामनवमी इस बार पश्चिम बंगाल में खासा विवाद का कारण बन गई है। भाजपा ने घोषणा की है कि वह इस अवसर पर पूरे राज्य में लगभग 2000 रामनवमी जुलूस निकालेगी। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने साफ किया है कि इस बार एक करोड़ हिंदू श्रद्धालु इन आयोजनों में हिस्सा लेंगे। उनका कहना है कि भगवान श्रीराम की पूजा के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। वहीं, आरोप लगाए जा रहे हैं कि राज्य की टीएमसी सरकार और प्रशासन इन जुलूसों में सहयोग नहीं कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने साफ तौर पर रामनवमी के दिन सुरक्षा प्रदान करने से इनकार कर दिया है। इसी के चलते कोलकाता में होने वाला आईपीएल मैच भी विवादों में घिर गया।

क्यों स्थानांतरित हुआ केकेआर का IPL मैच?

6 अप्रैल को कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के बीच ईडन गार्डन्स स्टेडियम में आईपीएल मैच होना तय था। इस मैच में करीब 65,000 दर्शकों की भीड़ जुटने की उम्मीद थी। एक तरफ रामनवमी के भव्य जुलूस, दूसरी तरफ स्टेडियम में हजारों दर्शक—इस दोहरी चुनौती के कारण प्रशासन ने आईपीएल मैच के लिए पर्याप्त सुरक्षा देने से मना कर दिया। इसी वजह से आयोजकों ने मैच को कोलकाता से गुवाहाटी स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल भी इसी प्रकार की स्थिति बनी थी और तब भी रामनवमी के कारण आईपीएल मैच को स्थानांतरित करना पड़ा था।

भाजपा बनाम टीएमसी: रामनवमी से चुनावी रणभूमि तक

भाजपा रामनवमी को हिन्दू एकता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत कर रही है। शुभेंदु अधिकारी और अन्य भाजपा नेता इसे हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़ रहे हैं। वे आरोप लगा रहे हैं कि ममता सरकार हिन्दू आयोजनों में अड़चन डाल रही है और एकतरफा प्रशासनिक कार्रवाई कर रही है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है। उन्होंने कहा,

"यह समय रमजान का है। हम ईद और रामनवमी दोनों त्योहारों को शांति और सौहार्द के साथ मनाना चाहते हैं। हमारी सरकार एकता में विश्वास करती है।"

हालांकि, राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि दोनों ही दल इस मौके का राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं। भाजपा जहां रामनवमी को एक बड़े शक्ति प्रदर्शन में बदलना चाहती है, वहीं टीएमसी अल्पसंख्यक समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत रखने में जुटी है।

नालंदा में भी रामनवमी पर टकराव

पश्चिम बंगाल ही नहीं, बिहार के नालंदा जिले में भी रामनवमी को लेकर तनाव बढ़ गया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने 7 अप्रैल को बिहारशरीफ में होने वाले रामनवमी जुलूस को स्थगित करने का निर्णय लिया है।
VHP का आरोप है कि प्रशासन का रवैया असहयोगात्मक है। संगठन के अनुसार, पिछले साल 31 मार्च 2023 को हुए उपद्रव की जांच के नाम पर परिषद के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया। कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना कारण एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। VHP ने कहा है कि जब तक प्रशासन सहयोग नहीं करेगा और न्याय नहीं देगा, तब तक वे जुलूस नहीं निकालेंगे।

पिछली घटनाओं से सबक या फिर वही पुरानी कहानी?

पिछले वर्ष भी पश्चिम बंगाल में रामनवमी के दिन हिंसा हुई थी। मुर्शिदाबाद और हावड़ा जैसे जिलों में जुलूसों के दौरान उपद्रव हुए थे। श्रद्धालुओं पर हमले हुए और पुलिस को स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज व आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। भाजपा ने उस समय ममता सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसी पृष्ठभूमि में, इस वर्ष फिर से डर बना हुआ है कि कहीं रामनवमी के मौके पर किसी अप्रिय घटना की पुनरावृत्ति न हो। पुलिस और प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरतने का दावा कर रहे हैं। आईपीएल मैच को गुवाहाटी स्थानांतरित करने का निर्णय भी इसी आशंका का परिणाम माना जा रहा है।

चुनावी रणनीति में धर्म का प्रयोग?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में धर्म आधारित राजनीति का यह खेल नया नहीं है। 2021 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने जय श्रीराम के नारों के साथ चुनावी रणभूमि में कदम रखा था। ममता बनर्जी ने इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया था। अब 2026 के चुनावों से पहले भाजपा रामनवमी जैसे धार्मिक आयोजनों के जरिए अपने कोर वोट बैंक को मजबूत करने में जुटी है। वहीं, टीएमसी अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखते हुए अल्पसंख्यकों में भरोसा जगाने की कोशिश कर रही है।

निष्कर्ष: किसकी होगी जीत?

रामनवमी को लेकर बंगाल की राजनीति गरम है। आईपीएल जैसे बड़े आयोजन का स्थानांतरण भी इस टकराव का हिस्सा बन गया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा अपने अभियान में कितनी सफलता पाती है और क्या ममता बनर्जी अपनी सत्ता को बचा पाने में सफल होंगी। फिलहाल, राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।


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