जन सुराज पार्टी के संस्थापक और पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा फैसला किया है। उन्होंने बुधवार को यह स्पष्ट कर दिया कि वह स्वयं इस बार के चुनावी रण में नहीं उतरेंगे। किशोर ने अपने इस निर्णय को 'जनहित' और एक 'बड़े मकसद' की पूर्ति से जोड़कर देखा है। हालांकि, व्यक्तिगत रूप से चुनाव न लड़ने के बावजूद, प्रशांत किशोर ने अपनी नवगठित पार्टी जन सुराज के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को बिहार की सत्ता तक पहुंचने के लिए कम से कम 150 सीटें जीतनी होंगी, और इससे कम परिणाम आने पर इसे हार के रूप में देखा जाएगा।
प्रशांत किशोर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मैं बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा। यह निर्णय किसी तात्कालिक राजनीतिक रणनीति के तहत नहीं लिया गया है, बल्कि इसे जनहित को ध्यान में रखकर लिया गया है। हमारा एकमात्र लक्ष्य राज्य में व्यवस्था परिवर्तन लाना है। इसके लिए, जन सुराज को 150 सीटें जीतना अनिवार्य है; अगर हम इससे कम पर रुकते हैं, तो हम उसे अपनी हार मानेंगे।"
किशोर का यह बयान उन तमाम अटकलों पर विराम लगाता है जो पिछले कुछ दिनों से चल रही थीं। जन सुराज पार्टी पहले ही अपने उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी कर चुकी है। पहली सूची में 51 और दूसरी सूची में 66 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए थे। इन दोनों सूचियों में प्रशांत किशोर का नाम शामिल नहीं था, जिससे यह सवाल उठ रहा था कि क्या वह अंततः चुनावी मैदान में उतरेंगे।
इससे पहले, 48 वर्षीय प्रशांत किशोर देश के कई बड़े राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए एक सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम कर चुके हैं। अब उनका पूरा ध्यान बिहार की राजनीति पर केंद्रित है। जन सुराज पार्टी ने पिछले महीनों में बिहार में संगठन विस्तार पर ज़ोर दिया है और राज्य भर में 'जनसंवाद यात्राएं' आयोजित कर जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश की है। प्रशांत किशोर का यह ऐलान बिहार चुनाव को एक नई दिशा दे सकता है, जहां अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके बिना उनकी पार्टी 150 सीटों के इस ऊंचे लक्ष्य को कैसे हासिल करती है।