संसद के मानसून सत्र के दौरान एक बार फिर विपक्षी दलों के हंगामे ने सदन की कार्यवाही को बाधित कर दिया है। SIR (Systematic Institutional Rigging) समेत कई मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। लेकिन सोमवार को जब लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाज़ी और प्रदर्शन शुरू किया, तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नाराज़गी जाहिर की और कड़ी चेतावनी देते हुए संयम बरतने की सलाह दी।
“सवाल पूछिए, सरकारी संपत्ति नष्ट मत कीजिए”
हंगामे के बीच सदन को संबोधित करते हुए ओम बिरला ने कहा:
“जिस ताकत से आप नारे लगा रहे हैं, उसी ताकत से अगर आप सवाल भी पूछेंगे तो यह देश की जनता के लिए फायदेमंद होगा। जनता ने आपको सरकारी संपत्ति नष्ट करने के लिए नहीं भेजा है।”
बिरला का यह बयान साफ तौर पर उन सांसदों के लिए था जो बार-बार लोकतांत्रिक मर्यादाओं की अनदेखी करते हुए संसद की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सांसद ऐसा करते रहे तो उन्हें कुछ निर्णायक फैसले लेने पड़ेंगे।
“देश की जनता देख रही है”
ओम बिरला ने आगे कहा:
“मैं आपको चेतावनी देता हूं कि किसी भी सदस्य को सरकारी संपत्ति नष्ट करने का विशेषाधिकार नहीं है। अगर आप ऐसा करने की कोशिश करेंगे तो मुझे कुछ निर्णायक फैसले लेने होंगे और देश की जनता आपको देखेगी।”
लोकसभा अध्यक्ष का यह बयान स्पष्ट रूप से संसदीय अनुशासन और आचरण की सीमा को दर्शाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि देश की कई विधानसभाओं में ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है।
दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित
विपक्षी हंगामे के चलते सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। संसद परिसर में भी विपक्षी सांसदों ने प्रदर्शन किया, जिसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। प्रदर्शन में तख्तियां, नारे और जमकर नाटकीयता देखने को मिली।
दूसरी ओर ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में राहुल गांधी
संसद में जहां विपक्षी सांसद प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाल रहे हैं।
-
इस यात्रा की शुरुआत सासाराम से हुई थी और
-
मंगलवार को यह यात्रा औरंगाबाद से आगे बढ़ी, जहां तेजस्वी यादव भी राहुल गांधी के साथ शामिल हुए।
कांग्रेस का दावा है कि यह यात्रा मतदाता अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की रक्षा के लिए है, जबकि विपक्ष के अन्य सहयोगी दल संसद के भीतर विरोध जारी रखे हुए हैं।
असल मुद्दे से भटक रहा है विपक्ष?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संसद में इस तरह का हंगामा सार्थक बहस और चर्चा को प्रभावित करता है। संसद में विरोध का अधिकार लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन उसका मर्यादित और रचनात्मक उपयोग अपेक्षित होता है।
लोकसभा अध्यक्ष की यह चेतावनी इस बात का संकेत है कि अगर ऐसा आचरण जारी रहा तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें निलंबन या अन्य अनुशासनात्मक कदम भी शामिल हो सकते हैं।