नई दिल्ली: भारतीय सर्राफा बाजार के लिए साल 2025 किसी सुनहरे सपने से कम नहीं रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोमवार, 29 दिसंबर को सोने के वायदा भाव में 4,986 रुपये की गिरावट दर्ज की गई, जिसके बाद कीमतें 1,34,887 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ गईं। हालांकि, यह गिरावट साल भर की जबरदस्त तेजी के मुकाबले बेहद मामूली है। वहीं, चांदी की कीमतों ने भी इतिहास रचते हुए 2,23,900 रुपये प्रति किलोग्राम का ऑल-टाइम हाई स्तर छुआ।
2025 में सोने ने दिया करीब 80% रिटर्न
अगर हम 1 जनवरी 2025 से तुलना करें, तो सोने की कीमतों में लगभग दोगुना इजाफा हो चुका है। जनवरी 2025 के शुरुआती दौर में सोना 75,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था, जो साल खत्म होते-होते 1.35 लाख से 1.40 लाख रुपये के बीच झूल रहा है। जानकारों का कहना है कि डॉलर का प्रभुत्व कम करने की वैश्विक कोशिशें (De-dollarization) और अंतरराष्ट्रीय व्यापार तनाव (Global Trade Tension) ने सोने को सुरक्षित निवेश का सबसे पसंदीदा विकल्प बना दिया है।
2026 के लिए विशेषज्ञों की भविष्यवाणी
क्या साल 2026 में भी सोने और चांदी की यही चमक बनी रहेगी? कमोडिटी मार्केट के विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 जैसी "तूफानी" तेजी शायद 2026 में न दिखे, लेकिन बाजार का रुख बुलिश (Bullish) ही रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार:
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प्राइस टारगेट: साल 2026 में MCX पर सोना 1,50,000 से 1,55,000 रुपये के स्तर को पार कर सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल की पहली छमाही में ही यह 1,60,000 रुपये तक जा सकता है।
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चांदी की चमक: चांदी में इंडस्ट्रियल डिमांड (EV और सौर ऊर्जा क्षेत्र से) अधिक होने के कारण इसकी कीमतों में सोने के मुकाबले ज्यादा प्रतिशत में उछाल देखने को मिल सकता है।
तेजी के पीछे के मुख्य कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक, 2026 में भी कीमतों को सहारा देने वाले कारक वही रहेंगे जिन्होंने 2025 में कमाल किया। इनमें प्रमुख हैं:
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ब्याज दरों में कटौती: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना सोने को और आकर्षक बनाएगी।
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टैरिफ वॉर: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध (Trade War) के कारण सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ेगी।
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केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 के भारी मुनाफे के बाद 2026 में मुनाफावसूली के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव (Volatility) देखने को मिल सकता है, इसलिए निवेशकों को अब थोड़े सतर्क रहकर निवेश करने की जरूरत है।